दिल में क़रार रहे न रहे "अरशद "
लबों पे तबस्सुम बरक़रार रखिए ||
तबस्सुम= Smile
तलब होती है हमें जब भी मुस्कुराने की
तेरे तबस्सुम को तस्सवुर कर लेते हैं ||
तस्सवुर= To Imagine
साहिल पे खड़े रहकर तो बस लहरें ही मिलेंगी
गर तज़ुर्बा चाहिए तो जनाब लहरों पे आइए ||
उन्हें गुरूर है, उनका जाना मेरे लिए क़यामत होगी
हुस्न ए इत्तेफाक़ देखिए, यही गुरूर मै भी लिए फिरता हूँ ||
हुस्न ए इत्तेफाक़= The beauty of coincidence
अलफ़ाज़ तेरे महके करे जब भी कुछ बयाँ
तू इत्र है या ग़ुलाब , या फिर उर्दू जबाँ ||
बोलने की आज़ादी कोई लाख छीन ले
सोचने की आज़ादी लाफ़ानी है ||
लाफ़ानी= Immortal
जिन्हे जाना था वो चले गए जफ़ा कर के
अब यादें कर रही भरपाई वफ़ा कर के ||
वो "ग़ुरूर " पे लिखते रहे तन्ज़िया कलाम
इस "गुरूर" में की उनसे है कमतर तमाम ||
तन्ज़िया कलाम=Sattire
ज़रा ठहरा क्या ज़िन्दगी से गुफ्तगू के लिए
और तुम भी समझ बैठे मै दश्त मे गुम गया ||
दश्त = जंगल
उफ्फ! तेरी अदायें, यु क़त्ल करे मौसम की तरा
कभी गर्मी सी जानलेवा, कभी सर्दी सी जानलेवा ||
तरा = तरह
कदम बढ़ चलते हैं कू-ए-यार बख़ुद
वो अब हमारे नहीं, कोई बता दो इन्हें ||
कू-ए-यार= The street where the beloved lives
बख़ुद= by oneself, automatically
जब भी ग़म-ए-ज़िन्दगी का बोझ दिल पे पड़ता है
मै दबता नही, शायर बन कर उभर जाता हूँ ||
Ⓒarshad ali
लबों पे तबस्सुम बरक़रार रखिए ||
तबस्सुम= Smile
तलब होती है हमें जब भी मुस्कुराने की
तेरे तबस्सुम को तस्सवुर कर लेते हैं ||
तस्सवुर= To Imagine
साहिल पे खड़े रहकर तो बस लहरें ही मिलेंगी
गर तज़ुर्बा चाहिए तो जनाब लहरों पे आइए ||
उन्हें गुरूर है, उनका जाना मेरे लिए क़यामत होगी
हुस्न ए इत्तेफाक़ देखिए, यही गुरूर मै भी लिए फिरता हूँ ||
हुस्न ए इत्तेफाक़= The beauty of coincidence
अलफ़ाज़ तेरे महके करे जब भी कुछ बयाँ
तू इत्र है या ग़ुलाब , या फिर उर्दू जबाँ ||
बोलने की आज़ादी कोई लाख छीन ले
सोचने की आज़ादी लाफ़ानी है ||
लाफ़ानी= Immortal
जिन्हे जाना था वो चले गए जफ़ा कर के
अब यादें कर रही भरपाई वफ़ा कर के ||
वो "ग़ुरूर " पे लिखते रहे तन्ज़िया कलाम
इस "गुरूर" में की उनसे है कमतर तमाम ||
तन्ज़िया कलाम=Sattire
ज़रा ठहरा क्या ज़िन्दगी से गुफ्तगू के लिए
और तुम भी समझ बैठे मै दश्त मे गुम गया ||
दश्त = जंगल
उफ्फ! तेरी अदायें, यु क़त्ल करे मौसम की तरा
कभी गर्मी सी जानलेवा, कभी सर्दी सी जानलेवा ||
तरा = तरह
कदम बढ़ चलते हैं कू-ए-यार बख़ुद
वो अब हमारे नहीं, कोई बता दो इन्हें ||
कू-ए-यार= The street where the beloved lives
बख़ुद= by oneself, automatically
जब भी ग़म-ए-ज़िन्दगी का बोझ दिल पे पड़ता है
मै दबता नही, शायर बन कर उभर जाता हूँ ||
Ⓒarshad ali