ज़िन्दगी का है ये कैसा फसाना
सपनो में आता है स्कूल का ज़माना
भरे हुए मन से किताबो को उठाना,
पढ़ने के लिए वो खुद को मनाना ,
छोटी सी क्लास में टीचर का पढ़ाना,
सपनो में आता है स्कूल का ज़माना
चेहरे पे मुस्कान लिए स्कूल को जाना
लेट पहुँचने के झूठे सबब बताना
मार खाने के बाद बेवजह मुस्कुराना
फिर दोस्तों को फुसफुसाकर सच्चाई बताना
सपनो में आता है स्कूल का ज़माना
वो नादाँ आशिक़ो का बस के पीछे मंडराना
टीचर्स को देख कर खुद को छिपाना
किताबे माँगने, गिरने, उठाने के बहाने
दिल की बातो को आँखों से जताना
सपनो में आता है स्कूल का ज़माना
स्कूल की सीढ़ियों पर दोस्तों के साथ खाना
इक दुसरे को खिलाकर प्यार जताना
रूठे हुए दोस्त को गालियों से मनाना
किसी की पोल खोलकर सबको हँसाना
सपनो में आता है स्कूल का ज़माना
जिगर का खून चूसने आता जब इम्तेहान का ज़माना
रोते हुए मन से वो खुद को पढाई पे लगाना
पढ़ते हुए उन हसींन झपकियों का आना
फिर भी घर वालो को पढता हुआ दिखाना
सपनो में आता है स्कूल का ज़माना
फिर उस बेरहम दिन का आना
टीचर का नोटिस बोर्ड पर रिजल्ट चिपकना
पास होने पर शान से नम्बर दिखाना
फेल होने पर मार्कशीट को छिपाना
सपनो में आता है स्कूल का ज़माना
आज वो दिन आ गया, जिसे था कभी ना आना
ज़िन्दगी की रेस में अपने अलग रास्ते अपनाना
सफर में फिर मिलने का वादा कर
इक दुसरे यु सबका बिछड़ जाना
सपनो में आता है स्कूल का ज़माना
ज़िन्दगी का है ये कैसा फसाना
सपनो में आता है स्कूल का ज़माना
©arshad ali