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Sunday 16 December 2018

2 Liners

दिल में क़रार रहे न रहे "अरशद "
लबों पे तबस्सुम बरक़रार रखिए ||

तबस्सुम= Smile

तलब होती है हमें जब भी मुस्कुराने की
तेरे तबस्सुम को तस्सवुर कर  लेते   हैं ||

तस्सवुर= To Imagine

साहिल पे खड़े रहकर तो बस लहरें ही मिलेंगी
गर तज़ुर्बा चाहिए तो जनाब लहरों पे आइए  ||


उन्हें गुरूर है, उनका जाना मेरे लिए क़यामत होगी
हुस्न ए इत्तेफाक़ देखिए, यही गुरूर मै भी लिए फिरता हूँ ||

हुस्न ए इत्तेफाक़= The beauty of coincidence


अलफ़ाज़ तेरे महके करे जब भी कुछ बयाँ
तू इत्र है  या ग़ुलाब , या  फिर   उर्दू   जबाँ ||


बोलने की आज़ादी कोई लाख छीन ले
सोचने  की  आज़ादी  लाफ़ानी  है  ||

लाफ़ानी= Immortal


जिन्हे जाना था वो चले गए जफ़ा कर के
अब यादें  कर  रही भरपाई   वफ़ा कर के ||


वो "ग़ुरूर " पे लिखते रहे तन्ज़िया कलाम
इस "गुरूर" में की उनसे है कमतर तमाम ||

तन्ज़िया कलाम=Sattire


ज़रा ठहरा क्या ज़िन्दगी से गुफ्तगू के लिए
और तुम भी समझ बैठे मै दश्त मे गुम गया  ||

दश्त = जंगल

उफ्फ! तेरी अदायें, यु क़त्ल करे मौसम की तरा
कभी गर्मी सी जानलेवा, कभी सर्दी सी जानलेवा ||

तरा = तरह

कदम बढ़ चलते हैं कू-ए-यार बख़ुद
वो अब हमारे नहीं, कोई बता दो इन्हें  ||

कू-ए-यार= The street where the beloved lives
बख़ुद= by oneself, automatically


जब भी ग़म-ए-ज़िन्दगी का बोझ दिल पे पड़ता है
मै दबता नही, शायर बन  कर  उभर  जाता  हूँ  ||

Ⓒarshad ali






नशा हराम है |

मज़हब के नशे में न मख़मूर रहिये
नशा  हराम है , नशे से दूर   रहिये
मिले फुर्सत इस अंधी दौड़ से गर
शरीक़ महफ़िल ए इंसां मे ज़रूर रहिये
Ⓒarshad ali

मख़मूर = being unconscious after drinking



इक ख़ामोश लम्हा दो

कि इक ख़ामोश लम्हा दो
ठहर कर सोचना है|
थक जाऊ सफर तय कर यहीं ?
या मुसलसल दौड़ना है ?

कि इक ख़ामोश लम्हा दो
ठहर कर सोचना है|

करू परवाज़ की परवाह ?
रहूँ माज़ी में बेपरवाह ?
ज़रूरी है ये तय करना 
किस सम्त जाना  है

कि इक ख़ामोश लम्हा दो
ठहर कर सोचना है|

देखू रौशन चराग़ ,या
करू इक लौ मै अहतराक़ ?
तपिश ग़ैरत की लेनी है
या सर्द रहना है 

कि इक ख़ामोश लम्हा दो
ठहर कर सोचना है|

रो कर युहीं कबतक सहेंगे 
ग़म ए फिराक़ ए महबूबी 
रखकर किसी कोने में ग़म को 
कू ए यार चलना है 

कि इक ख़ामोश लम्हा दो
ठहर कर सोचना है|
Ⓒarshad ali

परवाज़= Udaan, Flight
माज़ी = Past
सम्त = Direction
अहतराक़ = To inflame
ग़म ए फिराक़ ए महबूबी  = Grief of separation from lover
कू ए यार = The street where the beloved lives

है किस बात का गुमाँ ?

ये फासले  पैदा करेंगी गलतफहमियाँ ही फकत
है शौक़ ए विसाल ए यार तो फिर करीब आओ ।।

यु रूठना तुम्हारा गैरों के मंसूबो को देगी हवा
दो कदम हमने बढ़ाया दो कदम तुम भी बढाओ ।।

है किस बात का गुमाँ कामिल यहाँ कोई नही
तैश मे न हम भूलें, ऐश मे न तुम भूल जाओ ।।

कोई फिराक़ अब रहे न बाकी दरम्यां हमारे
कुछ ऐसा जमाल अपने ख़यालात मे लाओ ।।

हर इक शय की पहोच जहाँ मुमकिन न हो सके
ऐसे दरिया की गहराई अपने जज़्बात मे लाओ ।।
Ⓒarshad ali 

शौक़ ए विसाल ए यार=Desire to meet your loved one
कामिल=Perfect person
फिराक़=Distance, Separation
जमाल=Beauty

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दिल में क़रार रहे न रहे "अरशद " लबों पे तबस्सुम बरक़रार रखिए || तबस्सुम= Smile तलब होती है हमें जब भी मुस्कुराने की तेरे तबस्...