ये फासले पैदा करेंगी गलतफहमियाँ ही फकत
है शौक़ ए विसाल ए यार तो फिर करीब आओ ।।
यु रूठना तुम्हारा गैरों के मंसूबो को देगी हवा
दो कदम हमने बढ़ाया दो कदम तुम भी बढाओ ।।
है किस बात का गुमाँ कामिल यहाँ कोई नही
तैश मे न हम भूलें, ऐश मे न तुम भूल जाओ ।।
कोई फिराक़ अब रहे न बाकी दरम्यां हमारे
कुछ ऐसा जमाल अपने ख़यालात मे लाओ ।।
हर इक शय की पहोच जहाँ मुमकिन न हो सके
ऐसे दरिया की गहराई अपने जज़्बात मे लाओ ।।
है शौक़ ए विसाल ए यार तो फिर करीब आओ ।।
यु रूठना तुम्हारा गैरों के मंसूबो को देगी हवा
दो कदम हमने बढ़ाया दो कदम तुम भी बढाओ ।।
है किस बात का गुमाँ कामिल यहाँ कोई नही
तैश मे न हम भूलें, ऐश मे न तुम भूल जाओ ।।
कोई फिराक़ अब रहे न बाकी दरम्यां हमारे
कुछ ऐसा जमाल अपने ख़यालात मे लाओ ।।
हर इक शय की पहोच जहाँ मुमकिन न हो सके
ऐसे दरिया की गहराई अपने जज़्बात मे लाओ ।।
Ⓒarshad ali
शौक़ ए विसाल ए यार=Desire to meet your loved one
कामिल=Perfect person
फिराक़=Distance, Separation
जमाल=Beauty
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